माधव क्लब
हमारे उज्जैन में एक माधव क्लब है , हालांकि मैं वहां कभी नहीं गई जब भी उज्जैन जाती थी घर के रस्ते में ही पड़ता था हर बार एक उडती उडती सी नज़र से देखे लेती थी, पर उस रात जाने कैसे अंकिता जिद कर के मुझे वहां ले गयी, कोई प्रोग्राम हो रहा था वहां. पहली बार मैं उस जगह को अन्दर से देख रही थी, एक कच्चा सा कमरा, जिसके अन्दर से ऊपर को जाती सीढ़ियाँ,मैं किसी तरह से चढ़ने लगी अचानक मेरा बैग मुझसे छूट गया, और सारा सामान तितर बितर, मैं जैसे तैसे उतरी सामान समेटने लगी, हाय राम क्या क्या भरा हुआ था मेरे बैग में, मेरे सारे dresses, ये ब्लू वाला गाउन, और ये शक्कर का पैकेट, अरे क्या क्या ले आई थी मैं यहाँ.. जैसे तैसे मैं अपना सारा सामान बैग में भर रही थी, तभी पास वाले कमरे का दरवाज़ा खुला, कोई लड़का था मैं कुछ कहती उसके पहले ही वो बोला ओह्ह कोई नहीं आप समेट लो.. मैंने नज़र घुमाई देखा मेरे नीले गाउन पर बड़े से सीगों वाला बकरा बैठा है, मैं डरी, ये यहाँ कैसे आ गया, मैं डंडा ढूंडने लगी ,तभी वो लड़का बोला अरे मारना नहीं ये भड़क जायेगा, मैं पलटी देखा वह...