बड़ा अजीब सा सपना था बड़ा ही अजीब

एक बुढ़ा भद्दा सा आदमी मेरा पीछा कर रहा था.. जिसे मैं जानती थी.. मैं इरिटेट हो रही थी फिर भी पीछे देख के मुस्कुरा दी। और बोली अरे  आप... मुझे लगा जाने कौन गाना गा रहा है... वो आदमी बेशर्मी से हँस दिया 


मैं सो रही थी करवट ली देखा मेरे पास हेमा सो रही है...मुझे होश था के ये अचानक..फिर भी मैंने आश्वस्त  हो आंखे बंद कर ली..वो हंसी...पर उसकी हंसी हमेशा सी नहीं थी.. .कोलाहल था उस हंसी में... दर्द भरा..

पर  मैंने उसे आंखे दिखा के सुला दिया..

सुबह मेरे कामरे के सामने वाले कमरे में मेरे ऑफिस के लड़के थे.. तभी अचानक मेरे पापा आ गए.. मैंने देखा  उनके पर्स में फटे  हुए नोट थे . जाने क्यों संभाले हुए थे... 

अचानक मुझे याद आया उन लड़कों के कमरे में मेरे कपड़े सूख रहे  हैं...

अगर पापा ने देख लिया तो क्या कहूंगी...

तभी पापा वहां  कमरे में आ गए.. मैं बस डरी हुई सी झेंपी  हुई सी थी.. तभी उनमे  से एक लड़का बोला अरे ये तो हमसे बात ही नहीं करती है... 

पापा बस मुस्कुरा दिए ... 

मैं शर्मिंदा थी ...



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